दोस्तों , हमारे इस Gayani Bro के ब्लॉग में आपका स्वागत है| आज के इस आर्टिकल में हम पुस्तकालय पर निबंध (Essay on Library in Hindi) पढेंगे| दोस्तों क्या आप जानते है 'पुस्तकालय' शब्द दो सब्दो के मेल से बना है- 'पुस्तक' और 'आलय'| दोस्तों, 'पुस्तक' का अर्थ होता है किताब (Book) और 'आलय' का अर्थ होता है घर (House) इसका मतलब हुआ की जहा पुस्तकों का संग्रह हो उसी को पुस्तकालय कहते है|
आपने अभी तक हमारे ब्लॉग के ढेर सारे हिंदी निबंध पढ़ चुके होंगे जैसे की सच्चे मित्र पर निबंध, गणतंत्र दिवस पर निबंध, क्रिसमस पर निबंध आदि.
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पुस्तकालय पर निबंध - Essay on Library in Hindi
प्रस्तवाना - नियमानुसार क्रमबद्ध पुस्तकों के रखने के स्थान को पुस्तकालय कहा जाता है| आज का युग सर्वशिक्षा का युग है| आज शिक्षा के प्रति आकर्षण इस कद्र बना है की हर वक्ती अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलवाना चाहता है|
शिक्षा सर्वसुलभ हो ऐसा विचार कोरा विचार ही रह जाएगा, यदि लोगो के लिए निशुल्क शिक्षा की वयस्था न की गई| शिक्षा की सुभिधाए निसुल्क प्राप्त हो| आज भारत में शिक्षा के प्रसार में जो सन्स्थाए सहयोग प्रदान कर रही है, पुस्तकालय उनमे प्रमुख है|
पुस्तकालय एक ज्ञान का केंद्र है जहा से हम ज्ञान की प्राप्ति करते है और उसी ज्ञान को समाज में फैलाते है| पुस्तकालय वह जगह है जहा हम अनेक प्रकार के महत्वपूर्ण बाते सीखते है| पुस्तकालय सरस्वती माँ का आराधना का केंद्र है| पुस्तके ज्ञान अर्जित करने का सबसे बरा साधन है|
विभिन्न प्रकार के पुस्तकालय- अनेक धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाओ के अपने विशाल पुस्तकालय होते है, जो जनता को नि;शुल्क अथवा नाम-मात्र पैसो से पढने के लिए पुस्तक, पत्र-पत्रिकाएँ आदि देते है| दुसरे, प्रत्यक स्कूल, कॉलेज के अपने पुस्तकालय होते है| इन पुस्तकालयो में प्राय विद्यार्थी और अध्यापक के पाठ्यक्रम से सम्बंधित पुस्तके ही होती है, जिससे दोनों लाभाविनित होते है|
समय का सदुपयोग- स्थानिय पुस्तकालय अथवा नगरपालिका द्वारा चलाए जाने वाले पुस्तकालयो में अवकाश के दिन भीर देखी जा सकती है| लोग अपनी रूचि के अनुशार समाचार-पत्र, पत्रिकाए, नाटक-एकाकी, कहानियो का आनंद नि;शुल्क प्राप्त कर सकते है| अवकाश के उपयोग का इससे उत्तम उपाए और क्या हो सकता है?
पुस्तकालय ज्ञान का भंडार- ज्ञान पिपासु मनुष्य, पुस्तकालय की से अपनी प्यास बुझा सकता है|ऐसे प्राचीन ग्रंथ, जू ज्ञान के भंडार होते है, जो खोजने पर ही मिलते है, पुस्तकालय के संरक्षण में वे लोगो की इच्छाओं की पूर्ति करते है|
पुस्तकालय निर्धनों को नि;शुल्क पुस्तके प्रदान करता है| भारत एक गरीब देश है| रोटी और कपरो की समस्या हल नहीं होती, पुस्तक कहा से खरीदेंगे? पुस्तकालय ऐसे लोगो की सहायता करता है| कोई पुस्तक अपने आप में पूर्ण हो सकती है, यह कहना असंभव है|
अध्यापक भी किसी विषय का पूर्ण ज्ञान दे सकता है, ऐसा शाम्भव नहीं है| उसे विषय के पूर्ण अध्यन के लिए पुस्तकालय के सरण में जाना परता है| पुस्तकालय में अध्यापकों को एक ही विषय पर अनेक विध्वनो द्वारा लिखी हुई पुस्तेके मिल जाती है|
सिक्षा प्रसार का साधन- आज सिक्षा के प्रचार में पुस्तकालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है| इसलिए सर्कार को चाहिए कि प्रतियक ग्राम व नगर में पुस्तकालय खोले जाय, ताकि लोगो में शिक्षा के प्रति रूचि जागृत हो| स्थानिय संस्थायें भी यदि चाहे तो पुस्तकालय खोलकर, लोगो को ग्रान-विज्ञान के लिए प्ररित कर सकती है|
Final Thought:-
मैं आप लोगो से बस इतना ही कहना चाहता हू की अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ जुरुर से जरुर शेयर करे| धन्यवाद ..........
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