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शनिवार, 26 दिसंबर 2020

Best Friendship Essay in Hindi (सच्चे मित्र पर निबंध हिंदी में पढ़े )

 दोस्तों, हमने अपने पिछले Essay के आर्टिकल में गणतंत्र दिवस के बारे में हिंदी में पढ़ा, अगर आपने अभी तक इस आर्टिकल को नहीं पढ़ा तो पढ़ सकते है| 

दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम सच्चे मित्र पर निबंध हिंदी में (Best Friendship Essay in Hindi) पढेंगे और इस आर्टिकल में यह भी बताया गया है की सच्चे मित्र के क्या-क्या गुण होते है|

तो दोस्तों, इस आर्टिकल को पूरा गरूर पढ़े और हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से यह जरुर बताये की यह आर्टिकल आपको कैसा लगा, तो ज्यदा समय न गवाते हुए इस आर्टिकल को सुरु करे|

Best Friendship Essay In Hindi (सच्चे मित्र पर निबंध हिंदी में पढ़े)

Best Friendship Essay in Hindi (सच्चे मित्र पर निबंध हिंदी में पढ़े )

 प्रस्तावना- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है| वह कभी समाज से अलग नहीं रह सकता| उसे प्रत्येक कार्य में लोगो के सहयोग की आवश्यकता होती है| इन लोगो में कुछ ऐसे भी होने चाहिए जो उसके सच्चे सुभेच्यु हो| अतः समाज में रहकर मनुष्य अपने जीवन के छनों को उत्तम ढंग से व्यतीत करने के लिए मित्र बनता है|

मित्र शब्द का अर्थ आजकाल बहुत हल्का और सामान्य है| आचानक आपका परिचय हुआ और आपने उसको मित्र की संज्ञा दे दी| सच्चा मित्र मिलना बहुत कठिन है| मित्र का अर्थ उस साथी से लगाया जाता है, जो गुणों को प्रकट करे, अवगुणों को छिपा ले, सुख-दुःख में साथ दे, विस्वास और सनेह के साथ उनन्ती की कामना करे|

परिवार के सदस्यो से हर बात नहीं की जा सकती| यदि किसी से दिल खोलकर बाते की जा सकती है तो केवल मित्र से| मित्र के अभाव से मनुष्य कुछ खोया-खोया सा रहता है कुइकी क्योंकि वह अपने सुख-दुःख की बात किससे करे, विपत्ति के समय किससे सहायता मांगे, हस्सी-मजाक का हल किससे पूछे तथा अपना समय किसके साथ बिताए?

 सच्चा मित्र ईस्वर का सबसे प्रिय वरदान है

सच्चे मित्र का मिलना सरल नहीं होता| सच्चा मित्र ईस्वर का सबसे प्रिय वरदान है| सच्चा मित्र वही है जो विश्वासपात्र तथा सदाचारी हो, जो आवश्यकता पर्ने पर काम आए| वही सच्चा मित्र होता है जो अपने मित्र के दुःख से दुखी हो, अपने बरे से बरे दुःख को धुल-कण के सामान और मित्र के धुल-कण के सामान दुःख को बरा समझे, मित्र को बुरे मार्ग से रोककर अच्छे मार्ग पर चलाए, मित्र के गुणों को प्रकट करे और उसके अवगुणों को छिपाए, जो विपत्ति के समय सॉ गुना सनेह करे, लेन-देन में मन में शका न रखे और अपनी शक्ति के अनुशार सदा हित ही करता रहे| जो सामने कोमल वचन बोले और पीछे अहित करे, मन में कुटिलता रखे ऐसे मनुष्य को मित्र नहीं बनाना चाहिए|

कृष्ण-सुदामा की मित्रता 

 
कृष्ण-सुदामा की मित्रता का उदाहरण भी दिया जा सकता है| परंतु आज के युग में तो ऐसे मित्र की कल्पना ही की जा सकती है| क्योंकि आजकल मित्रता किसी न किसी स्वार्थ से प्ररित होकर की जाती है| स्वार्थ की पूर्ति होने पर मित्रता भी समप्त हो जाती है- 'स्वार्थ लागी करे सब प्रीति'| आज के अधिकांश मित्र सामने मीठा बोलते है और पीछे काम बिगारते है| ऐसे मित्र विष


 

 
 

 


 


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